वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग,
२९ नवम्बर, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
व्यक्तित्व छोड़ना मुश्किल क्यों होता है?
क्या व्यक्तित्व छोड़ना वस्तु छोड़ने से ज़्यादा मुश्किल होता है?
क्या व्यक्तित्व भी झीनी माया है?
क्या हमारी आदतें ही हमारा व्यक्तित्व बन जाती हैं?
हम अपने व्यक्तित्व को निखारना क्यों चाहते हैं?
क्या हमारा व्यक्तित्व ही हमारी मूल परेशानी है?
संगीत: मिलिंद दाते